गुरु घण्टाल गोम्पा-समुद्रतल से 3000 मीटर (9840 फुट) की ऊंचाई पर गोम्पा केलांग से 13 किलोमीटर और चंद्रभागा के संगम स्थल तांदी से चार किलोमीटर की दूरी पर है। चंद्र नदी के दाएं किनारे स्थित गोम्पा तुपूचिलिंग गांव के क्षेत्र में है। यह लाहौल का पुरातन गोम्पा है जिसका सम्पूर्ण ढांचा लकड़ी का है और ऊपर की छत सूच्याकार है। इसमें सुन्दर एंव उत्कृष्ट नक्काशी की गई है। इसे गुरु पद्मसंभव के साथ भी जोड़ते हैं। इसमें भगवान बुद्ध, ब्रजेश्वरी देवी और अन्य देवताओं की प्रतिमाएं हैं। जून के मध्य में चांदनी रात्रि को यहाँ एक मेला लगता है जिसे "घण्टाल" के नाम से जाना जाता है। इसमें ठाकुर और लामा आपस में प्रीति-भोज करते हैं। डिलबुरी चोटी की परिक्रमा की जाती है। यह परिक्रमा लगभग 30 किलोमीटर की है। गोम्पा साढ़े आठ सौ साल पुरानी है। गोम्पा के कक्ष में स्थापित देवी की प्रतिमा से यह स्पष्ट है कि कभी यह मंदिर हिन्दू देवता से संबद्ध था। आज दोनों हिन्दू और बौद्ध देवता इसमें हैं और दोनों सम्प्रदाय पूजा करते हैं।
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