राधा कृष्ण समूह का दूसरा मंदिर- यह छोटे आकर का मंदिर है। गर्भगृह में राधा और कृष्ण की संगमरमर की प्रतिमाएं चांदी के पतरों से जड़े सिंहासन पर विद्यमान हैं। भगवान कृष्ण की प्रतिमा चतुर्भुजी है। राधा-कृष्ण मंदिर इस वर्ग का अपेक्षाकृत नया मंदिर है। इसे चम्बा के राजा जीत सिंह की विधवा रानी शारदा ने बनवाया था। समूह का तीसरा मंदिर चन्द्रगुप्त महादेव का है। लक्ष्मी नारायण मंदिर के साथ ही निर्मित यह मंदिर दसवीं और ग्यारवीं शताब्दी का है। समूह का सबसे प्राचीनतम मंदिर शिव को समर्पित हैं शिवलिंग गर्भगृह में सुशोभित है। चौथा मंदिर गौरी शंकर महादेव का है। गर्भगृह में कांसे की भगवान शिव को समर्पित मूर्ति कला का अभूतपूर्व उदहारण है। इसमें पीछे नन्दी दिखाया गया है। प्रतिमा राजा साहिल वर्मा के पुत्र युगाकर वर्मन ने 11 वीं शताब्दी में बनवाई थी। मूर्ति चतुर्भुजी है जिसके सामने शिवलिंग है। पांचवां मंदिर अम्बकेश्र्वर महादेव को समर्पित है। मंदिर को त्रिमुक्तेश्रवर नाम से जानते हैं। शिखर पिरामिड आकार का है। छठा मंदिर लक्ष्मी दामोदर के नाम से भगवान विष्णु को समर्पित है। गर्भगृह में विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा खड़ी दिखाए गई है।
Comment with Facebook Box