रिवालसर तीर्थ :- रिवालसर हिन्दू, बौद्ध और सिख सम्प्रदायों की तीर्थ स्थली है। हिन्दू रिवालसर को लोमश ऋषि की तपोभूमि के रूप में देखते हैं। लोमश ऋषि का उल्लेख महाभारत में भी आता है। लोमेश ऋषि तीर्थों की पूर्ण जानकारी रखते थे। उन्होंने युद्धिष्ठर का विभिन्न तीर्थों में साथ दिया था। रिवालसर में हिन्दुओं के नगर शैली के मंदिर हैं। बौद्धों के लिए यह स्थान भिक्षु पदमसंभव की प्रणय-स्थली रही है। रिवालसर का बौद्ध मन्दिर पैगोडा शैली का है। इस बौद्ध मंदिर के भीति-चित्र हिमालय क्षेत्र में बौद्ध कला एवं परम्परा का उदहारण प्रस्तुत करते हैं। मूर्ति कक्ष में प्रवेश करते ही छोटी - बड़ी अनेक मूर्तियों के एक साथ दर्शन होते हैं।
मन्दिर से दाएं से बाएं मूर्ति क्रम में तारादेवी, मंजुश्री, दीपांकर बुद्ध (अतीत बुद्ध), गौतम बुद्ध, मैत्रय बुद्ध (भावी बुद्ध), तणा देवी या कुआँ रानी (मंडी की राजकुमारी मंधर्वा जिसका पदमसंभव से विवाह हुआ था) , पदमसंभव, मिर्तिज्ञाना (पदमसंभव की महिला अनुयायी), मौदनल्यालन, बुद्ध सारिपुत्र, ब्रजस्तव, तारा और सहस्रभुज हैं। सिखों लिए भी रिवालसर का अपना महत्व है। गुरु गोबिंद सिंह राजा सिद्ध सेन के समय मण्डी आए थे तथा सिद्ध सेन ने उन्हें अतिथि सम्मान दिया था।
बाद में सिख सम्प्रदाय के लोगों ने गुरु के आगमन की स्मृति में मण्डी और रिवालसर में गुरुद्वारों का निर्माण कराया था।
Riwalsar Temple is situated at Riwalsar place which is appox 53 km far from mandi main town. A trekking route can be taken from Baggi which is appox 23 km far from Riwalsar. Daily bus is also available from mandi town.
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